सावन सोमवार व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र व्रत है, जिसे सावन मास के प्रत्येक सोमवार को रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से कुँवारी कन्याओं द्वारा अच्छे वर की प्राप्ति हेतु और विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु एवं दाम्पत्य सुख के लिए रखा जाता है। पुरुष भी इसे रख सकते हैं शिव कृपा और इच्छापूर्ति हेतु।
📜 सावन सोमवार व्रत की पौराणिक कथा (Vrat Katha in Hindi):
बहुत समय पहले की बात है। एक नगर में एक अत्यंत निर्धन ब्राह्मण दंपति रहते थे। वे दोनों शिवभक्त थे, परंतु संतानहीन थे। ब्राह्मणी दिन-रात यही कामना करती थी कि उसे एक पुत्र प्राप्त हो, और वह पुत्र भी ऐसा हो जो दीर्घायु हो, यशस्वी हो।
एक दिन वह ब्राह्मणी पड़ोस की एक वृद्धा से अपनी व्यथा कह रही थी। तब वृद्धा ने कहा:
“बेटी! अगर तुम सच्चे मन से सावन के पूरे सोमवार का व्रत रखो, और शिवजी की पूजा कर उनकी कथा सुनो, तो निश्चित रूप से भगवान शिव तुम्हारी मनोकामना पूरी करेंगे।”
ब्राह्मणी ने वही किया। उसने सावन के महीने के प्रत्येक सोमवार को व्रत रखा, उपवास किया, शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध और धतूरा अर्पित किया, और शिवपुराण का श्रवण भी किया।
आख़िरी सोमवार को उसने गहरी भक्ति से प्रार्थना की:
“हे भोलेनाथ! आप अशुतोष हैं। थोड़ी सी भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं। मुझ पर कृपा करें और मुझे पुत्र रत्न प्रदान करें।”
भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए और बोले:
“हे शुभे! तुम्हें एक तेजस्वी पुत्र प्राप्त होगा, परंतु उसका जीवन केवल 16 वर्ष का होगा।”
ब्राह्मणी ने हँसते हुए कहा:
“हे महादेव! पुत्र होगा तो मैं आगे आपके चरणों में उसकी रक्षा हेतु फिर प्रार्थना करूँगी।”
कुछ महीनों बाद उसे पुत्र हुआ। वह अत्यंत गुणवान, बुद्धिमान और सुंदर था। पर जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया, ब्राह्मणी के मन में डर भी बढ़ता गया।
जब वह 16 वर्ष का होने लगा, तब माता-पिता ने उसे तीर्थ यात्रा पर भेज दिया ताकि अशुभ समय टल जाए। मार्ग में वह एक राज्य में एक विवाह समारोह में पहुँचा। वहाँ वरपक्ष का लड़का अचानक मर गया।
लड़की के पिता बहुत चिंतित हुए — तभी ब्राह्मण पुत्र ने कहा:
“मैं यज्ञ करके शिवजी की आराधना करूँगा, कृपा हो तो वर जीवित हो जाएगा।”
उसने वहीं बैठकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया और शिव का स्मरण किया।
कुछ समय बाद मृत वर पुनर्जीवित हो गया! राजा को यह चमत्कार देखकर आश्चर्य हुआ और उसने अपनी कन्या का विवाह उस ब्राह्मण बालक से कर दिया।
जब वह घर लौट रहा था, मार्ग में भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए और बोले:
“वत्स! तुम्हारी माता की श्रद्धा और सावन सोमवार व्रत के प्रभाव से तुम्हारी आयु अब बढ़ चुकी है। तुम्हें दीर्घायु, यश और सुख प्राप्त होगा।”
इस प्रकार व्रत की शक्ति से उसे पूर्ण जीवन और शिवकृपा प्राप्त हुई।
🕉️ सावन सोमवार व्रत विधि (संक्षेप में):
- प्रातः स्नान कर शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, भस्म, धतूरा, शहद अर्पण करें।
- “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जप करें।
- महामृत्युंजय मंत्र या शिव चालीसा का पाठ करें।
- व्रत कथा अवश्य पढ़ें या श्रवण करें।
- दिनभर व्रत (फलाहार/निर्जल/सादा भोजन) और शाम को आरती करें।
📚 सावन सोमवार व्रत का फल:
- इच्छित वर/वधु की प्राप्ति
- विवाह में आ रही बाधा दूर होती है
- दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है
- संतान सुख प्राप्त होता है
- आयु वृद्धि और मानसिक शांति मिलती है
- भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है
🙏 विशेष मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
🔱 सावन सोमवार व्रत कथा (पूरी जानकारी, विधि, कथा, महत्व सहित) 🔱
🌿 परिचय:
सावन का महीना (श्रावण मास) भगवान शिव का सबसे प्रिय मास माना जाता है। विशेष रूप से सावन के सोमवार को व्रत, पूजन और उपवास करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं।
सावन सोमवार का व्रत मनोकामना पूर्ति, वैवाहिक सुख, संतान सुख, स्वास्थ्य लाभ, और मानसिक शांति के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
🕉️ सावन सोमवार व्रत विधि (Step-by-step पूजा विधि):
🧘♀️ व्रत प्रारंभ करने से पहले:
- व्रती को चाहिए कि वह सावन मास के पहले सोमवार से शुरू करके चारों सोमवार व्रत रखे।
- कुछ लोग पूरे महीने हर दिन भगवान शिव का पूजन करते हैं।
- उपवास फलाहार, जलाहार या एक समय के सादे भोजन के रूप में किया जाता है।
📜 पूजन विधि:
- प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर अथवा मंदिर में शिवलिंग के समक्ष “ॐ नमः शिवाय” का जप करते हुए दीप जलाएं।
- शिवलिंग का अभिषेक करें:
- जल, दूध, शहद, दही, घी से पंचामृत बनाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
- फिर गंगाजल, बेलपत्र, भस्म, धतूरा, आक, चंदन आदि चढ़ाएं।
- शिव चालीसा, रुद्राष्टक, शिव पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करें।
- अंत में आरती करें:
“ॐ जय शिव ओंकारा…”
📖 सावन सोमवार व्रत की विस्तृत कथा:
बहुत समय पहले की बात है। एक नगर में एक अत्यंत निर्धन ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे। वे शिवभक्त थे लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। ब्राह्मणी दिन-रात भगवान शिव से पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना करती।
एक दिन, जब वह एक वृद्धा से मिली, तो उसने उसे बताया:
“बेटी, यदि तू सावन के महीने में सोमवार व्रत रखकर भगवान शिव की विधिवत पूजा करे, तो तेरी मनोकामना अवश्य पूरी होगी।”
ब्राह्मणी ने पूरी श्रद्धा से सावन के सभी सोमवारों का व्रत रखा। उसने पूरे माह तक शिवलिंग का अभिषेक किया, व्रत रखा, बेलपत्र चढ़ाए और रात्रि को भजन-कीर्तन किया।
अंतिम सोमवार को भगवान शिव स्वप्न में प्रकट हुए और बोले:
“हे शुभे! तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न होकर मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करता हूँ, परंतु उसकी आयु 16 वर्ष से अधिक नहीं होगी।”
ब्राह्मणी ने कहा,
“मुझे पुत्र प्राप्त हो, तो मैं आगे उसकी रक्षा के लिए पुनः आपकी शरण में आऊँगी।”
भगवान शिव ने आशीर्वाद देकर चले गए। कुछ समय बाद उसे एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई।
🧒 बालक का जीवन संकट में:
जब पुत्र 16 वर्ष का हुआ, ब्राह्मण दंपति को उसकी अल्पायु का ध्यान आया। वे चिंतित हो उठे। उन्होंने उसे तीर्थ यात्रा पर भेजा, ताकि अमंगल समय टल जाए।
यात्रा के दौरान वह एक राज्य में रुका, जहाँ एक राजा अपनी बेटी का विवाह कर रहा था। विवाह की तैयारी हो ही रही थी कि वर अचानक मर गया।
राजा दुखी होकर रोने लगा कि अब कन्या का विवाह कैसे होगा?
ब्राह्मण पुत्र ने कहा:
“यदि आप अनुमति दें, तो मैं भगवान शिव की आराधना से पुनः उसे जीवित कर सकता हूँ।”
राजा ने सहर्ष अनुमति दी।
वह बालक वहीं बैठ गया और महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए शिव का आवाहन करने लगा।
कई घंटे की आराधना के बाद, भगवान शिव की कृपा से मृत वर पुनर्जीवित हो गया।
राजा ने उस ब्राह्मण पुत्र की भक्ति देखी और अपनी कन्या का विवाह उसी से कर दिया।
👑 शिव की कृपा से आयुष्यवृद्धि:
जब वह ब्राह्मणपुत्र अपनी पत्नी के साथ वापस लौट रहा था, मार्ग में स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए और बोले:
“वत्स! तुम्हारी माता ने सावन सोमवार का व्रत किया, जिसकी शक्ति से न केवल तुम्हारा जीवन मिला, बल्कि अब मैं तुम्हें दीर्घायु, यशस्वी और धनवान बनाता हूँ।”
ब्राह्मण पुत्र ने भगवान शिव को साष्टांग प्रणाम किया।
🪔 सावन सोमवार व्रत के लाभ:
- मनोकामना पूर्ति (विशेषतः विवाह और संतान के लिए)
- जीवन के कष्टों और पापों का नाश
- ग्रह दोष, कालसर्प योग, शनि बाधा का शमन
- रोगों से मुक्ति एवं स्वास्थ्य लाभ
- पति-पत्नी में प्रेम व संतुलन
- भगवान शिव की विशेष कृपा और भक्ति में वृद्धि
🌼 शुभ मंत्र व जप:
🔸 पंचाक्षरी मंत्र:
“ॐ नमः शिवाय” — 108 बार जप करें।
🔸 महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
📅 सावन सोमवार की तिथियाँ (2025)
सावन आरंभ (2025): 9 जुलाई 2025
सावन सोमवार व्रत तिथियाँ (2025):
▪️ 14 जुलाई 2025
▪️ 21 जुलाई 2025
▪️ 28 जुलाई 2025
▪️ 4 अगस्त 2025
(पाँच सोमवार होंगे)