Lord Shiv Ji Vrat Katha | भगवान शिव जी व्रत कथा

🕉 भगवान शिव जी व्रत कथा

🔱 Lord Shiv Ji Vrat Katha in Hindi 🔱

“ॐ नमः शिवाय”
भगवान शिव कल्याण स्वरूप हैं। उनके व्रत करने से जीवन के समस्त कष्टों का नाश होता है और भक्त को सुख, शांति व मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत कथा विशेष रूप से सोमवार व्रतमहाशिवरात्रि, या श्रावण मास में श्रवण की जाती है।

🌺 शिव व्रत की प्राचीन पौराणिक कथा:

बहुत प्राचीन समय की बात है। एक निर्धन ब्राह्मण था जो अत्यंत गरीब था, किंतु अत्यंत भक्तिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करता था। उसकी पत्नी भी परम शिवभक्त थी। वे दोनों प्रतिदिन बेलपत्र, जल, अक्षत, धतूरा आदि से शिवलिंग का अभिषेक करते और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते।

लेकिन गरीबी के कारण घर में भोजन की भी कमी रहती। एक दिन पत्नी ने दुखी होकर कहा:
“हे स्वामी, हम क्यों न भगवान शिव का सोमवार व्रत करें, जिससे हमारे जीवन की दरिद्रता दूर हो?”

ब्राह्मण को यह बात उचित लगी। दोनों ने पूरे नियम से सोमवार व्रत आरंभ किया। वे प्रातः स्नान कर शिवलिंग पर जल व बेलपत्र चढ़ाते, दिनभर व्रत रखते और शाम को कथा व आरती करते।

यह व्रत उन्होंने 16 सोमवार तक पूरे श्रद्धा भाव से किया। अंतिम व्रत के दिन रात्रि में भगवान शिव स्वयं प्रसन्न होकर प्रकट हुए और वरदान दिया:
“वत्स! तुम्हारी श्रद्धा व निष्ठा से मैं प्रसन्न हूँ। तुम्हारे घर कभी अन्न, धन या सुख की कमी नहीं होगी।”

अगले दिन से ही उनका जीवन बदल गया। घर में सुख-समृद्धि आ गई। उनकी कीर्ति दूर-दूर तक फैल गई। वे जहां भी जाते, शिव कृपा उनके साथ रहती।

📿 व्रत विधि (संक्षेप में):

  • व्रत वाले दिन प्रातः स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें
  • शिवलिंग का पंचामृत व जल से अभिषेक करें
  • बेलपत्र, धतूरा, भस्म, फल व फूल अर्पित करें
  • “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें
  • शाम को व्रत कथा सुनें या पढ़ें
  • आरती करें: “जय शिव ओंकारा…”
  • अगले दिन व्रत का पारण करें (सादा भोजन या फलाहार से)

🌟 व्रत के लाभ:

  • दरिद्रता दूर होती है
  • विवाह व संतान संबंधित दोष नष्ट होते हैं
  • मानसिक शांति व पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है
  • मोक्ष व शिवलोक की प्राप्ति होती है

🔚 अंत में बस यही भाव रखें:

“हे भोलेनाथ! आप ही मेरे स्वामी, संरक्षक व पिता हैं। मुझे अपनी भक्ति का वरदान दें।”

🕉 हर हर महादेव!
🔱 ॐ नमः शिवाय 🔱

🌙 भगवान शिव जी सोमवार व्रत कथा

🔱 Somvar Vrat Katha in Hindi 🔱

“ॐ नमः शिवाय”
सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन व्रत रखने और सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह कथा एक ऐसे साहूकार की है, जिसने पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से सोमवार का व्रत किया और भगवान शिव से पुत्र प्राप्ति का वरदान पाया।


📖 व्रत कथा – पुत्र प्राप्ति और शिव कृपा की अमर गाथा

बहुत समय पहले एक गांव में एक धनवान साहूकार रहता था। उसके पास सब कुछ था—धन, वैभव, सुख-सुविधाएं—लेकिन जीवन में एक ही कमी थी, संतान की। इस अभाव ने साहूकार और उसकी पत्नी को चिंतित कर रखा था।

संतान की प्राप्ति के लिए साहूकार ने शिवभक्ति का मार्ग अपनाया। वह प्रत्येक सोमवार व्रत रखता, मंदिर जाता और भगवान शिव-गौरी की श्रद्धा भाव से पूजा करता।

🌺 मां पार्वती की कृपा

साहूकार की भक्ति देखकर माता पार्वती अत्यंत प्रसन्न हुईं। उन्होंने भगवान शिव से उस भक्त की इच्छा पूर्ण करने का आग्रह किया। शिवजी ने कहा कि यह जीव अपने कर्मों के अनुसार ही फल भोगेगा, लेकिन माता पार्वती के ममतामयी आग्रह से शिवजी मान गए।

शिवजी ने वरदान दिया कि साहूकार को पुत्र प्राप्त होगा, लेकिन वह बालक केवल 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा। साहूकार ने इस वरदान को भी भगवान की कृपा समझकर स्वीकार कर लिया।


👶 पुत्र का जन्म और काशी की यात्रा

कुछ समय बाद साहूकार के घर पुत्र का जन्म हुआ। जब वह बालक 11 वर्ष का हुआ, साहूकार ने उसे विद्या अध्ययन के लिए काशी भेजने का निर्णय लिया। साथ में मामा को भेजा और यज्ञ के साथ ब्राह्मण भोज करने का निर्देश दिया।

रास्ते में एक राजकुमारी का विवाह हो रहा था। दुर्भाग्य से दूल्हा काना था, लेकिन यह बात छुपाई गई थी। जब साहूकार के सुंदर पुत्र को देखा गया, तो चालाकी से उसे दूल्हा बना बैठाया गया। परंतु साहूकार का पुत्र सत्यनिष्ठ था। उसने दुपट्टे पर लिखा कि वह असली वर नहीं है और यह बात सामने आ गई। विवाह रुक गया।


🕯 मृत्यु, पुनर्जीवन और शिव कृपा

काशी पहुंचकर भी यज्ञ होते रहे। जैसे ही पुत्र की बारहवीं वर्षगांठ आई, वह मृत्यु को प्राप्त हो गया। उसका मामा अत्यंत विलाप करने लगा। तभी वहां से भगवान शिव और मां पार्वती गुजर रहे थे।

माता पार्वती ने जब यह दृश्य देखा तो अपने करुणामयी स्वभाव से शिवजी से आग्रह किया कि उस बालक को पुनः जीवन दें। शिवजी ने कहा कि उसके जीवन की अवधि पूर्ण हो चुकी है, लेकिन माता की करुणा से पिघलकर उन्होंने उसे फिर से जीवन दे दिया।


💒 विवाह और पुनर्मिलन

शिक्षा पूरी करने के बाद वह बालक अपने मामा के साथ घर लौट रहा था। रास्ते में उसी नगर में दोबारा आया, जहां विवाह रोका गया था। राजा ने बेटी का विवाह अब उसी बालक से विधिवत कर दिया।

गांव लौटने पर माता-पिता अपने पुत्र को जीवित देखकर अत्यंत प्रसन्न हुए। उसी रात भगवान शिव ने साहूकार को स्वप्न में दर्शन दिए और बताया कि उसकी भक्ति और व्रत की कथा सुनने से वे अत्यंत प्रसन्न हुए और उसी प्रसन्नता में उन्होंने पुत्र को जीवनदान दिया।


🕉 व्रत का महत्व

सोमवार के दिन उपवास रखना, भगवान शिव की पूजा करना और यह कथा सुनना—इन सब से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

🌿 जय भोलेनाथ!

हर हर महादेव 🙏
ॐ नमः शिवाय